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वयं श्रीमालीः

वयं श्रीमालीः वयं श्रीमालीः   जम्बूद्वीपे भरतखंडे भृगुकच्छ – सागरतटे अर्बुदा् चले। श्रीमाल क्षेत्रे पùपुराणविरचितं री महालक्ष्मी योजिते।। विष्णुमाज्ञातं विप्रकुल आमंत्रिता सर्वदेशान्तरे हिमाचले। आगता नव पंच सहस्त्राणि तद् वंशजा वयं श्रीमालीः।1। सूर्यकोटिसमप्रभः ध्यायन्ति वै हुतब्रह्यानलं भूकाशमाद्यम्। तायोरू पंचतत्वं त्रिभुवन रूदन्तं न्यास मंत्रस्त्रिसंध्यम्।। श्री महेशं सुरेशं बहुगण गरिमाणं तमेवं कृपालुम्। वेद-शास्त्र प्रणेता सुसंस्कृतास्ते वयं श्रीमालीः।2। स्नाने ध्याने सुपाठे हुतबह पंच यज्ञाग्ने प्राश्ने। अग्नि होत्रं शस्त्रोक्तं सप्त मौनं निधति नृगरा सर्वदाने।। नानाधूपे सुपुष्पैर्वर फल बहुलैः पूज्यंतीह धेनो। शुद्धाचारविचारो स्वयंपाकी शुद्ध अन्ने वयं श्रीमालीः।3। पवित्रं पीताम्बरं रम्यं अंगवस्त्र रूद्राक्षमाला शोभते। त्रिपुण्ड्र शिखासूत्रं धारंति ज्योतिषां अग्रगण्यम्।। कण्स्थ सर्वे शास्त्रे दानवीरमाघः महाकविकुलभारतीयम्। जन हित जप तप करणे सर्वदा संतुष्टे ते वयं श्रीमालीः।4। यद माँगल्य विवाहे कथित शुभ मुहूर्ते सुस्वरगीतवाद्यं। श्रीखण्ड चन्दनाद्यं वपुषि युवतयो धारयन्तीह येषाम्।। स्...

सुन्दरे सुन्दरो रामः सुन्दरे सुन्दरी कथासुन्दरे सुन्दरी सीता सुन्दरे सुन्दरं वनम् ।सुन्दरे सुन्दरं काव्यं सुन्दरे सुन्दरः कपिःसुन्दरे सुन्दरं मन्त्रं सुन्दरे किं न सुन्दरम् ॥

सुन्दरे सुन्दरो रामः सुन्दरे सुन्दरी कथा सुन्दरे सुन्दरी सीता सुन्दरे सुन्दरं वनम् । सुन्दरे सुन्दरं काव्यं सुन्दरे सुन्दरः कपिः सुन्दरे सुन्दरं मन्त्रं सुन्दरे किं न सुन्दरम् ॥ [Describing Sundara Kanda in  Sri Valmiki Ramayana , one of the poetic marvels in the literature] Meaning:   Rama  is handsome and  Sita  is gorgeous. The  Ashoka  forest in which  Sita  was there is beautiful. The  Ramayana kavyam  which describes these events is beautiful.  Hanuman  who attained self-realization is beautiful. The sacred hymns are beautiful. In this beautiful  Sundara Kanda , which is the fifth chapter of  Ramayana kavyam , what is not beautiful? At some parts of India, devotees celebrate the festival for nine days starting from  Ugadi  and ending on  Rama Navami  with exquisite classical music concerts and literature events. Few places in North India, host fairs associated with the festival, culminat...

सूर्य नमस्कार

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ॐ मित्राय नमः ॐ रवये नमः ॐ सूर्याय नमः ॐ भानवे नमः ॐ खगाय नमः ॐ पूष्णे नमः ॐ हिरण्यगर्भाय नमः ॐ मरीचये नमः ॐ आदित्याय नमः ॐ सवित्रे नमः ॐ अर्काय नमः ॐ भास्कराय नमः

पवित्रिकरण मंत्र

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किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में स्वयं को बाहर एवं भीतर से पवित्र होना चाहिए अतः हमारे वेदों में वर्णित पवित्र होने का विधान है जिसे निम्न प्रकार से लिखा गया है भावार्थ सहित पवित्र करन मंत्र:

तीन प्रमुख बात

तीन प्रमुख बात जो हमें इस शिविर के बाद अपने जीवन में ढालना है.... (1) जो भी सीखा है उसका नित्य अभ्यास कर उसमें निपुणता लाना है। (2) उसमें जब हम निपुण हो जाए तो उस विद्या(अच्छी बात)को अन्य लोगों को भी सीखना है।और  (3) अपने निकट के किसी मंदिर में रोज दर्शन हेतु जाना है, यदि शिवालय हो तो सुबह एक लोटा जल शिव जी को चढ़ाना चाहिए।

*आज का अभ्यास* संकट नाशन गणेश स्तोत्र

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*द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः*। *न च विध्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम्* ।।5।। *विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्* । *पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम्* ।।6।।

आज का अभ्यास

*आज का अभ्यास*               *दीपक वंदना* *शुभम करोति कल्याणं,       आरोग्यं धन संपदाम्।                        शत्रु बुद्धि विनाशाय,               दीपं ज्योति नमोस्तुते*।।                       *अर्थ*                                                इस मंत्र का सरल अर्थ यह है कि शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य और धन संपदा देने वाली, शत्रु बुद्धि का विनाश करने वाली दीपक की ज्योति को नमस्कार है।              *सरस्वती वंदना* ॐ नमस्ते  शारदे  देवी , काश्मीर पुर्वासिनी  त्वां  अहं  प्रार्थये  नित्यं , विद्यां  बुद्धिं  च  देहिमे !!               ...